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Monday, September 11, 2017

ग़ज़ल غزل


شدّتِ غم کے ان مراحل میں
ہجر کے یاس کے سلاسل میں

شہرِ جاناں میں قتل ہونے کو
سَرنگوں پیش کوئے قاتل میں

بے رخی کے ان تیز حملوں کی 
جراءتِ تاب نہیں کاہل میں

ہر گھڑی محوِ فکرِ جاناں ہوں
حِس نہیں اسکی یارِ غافل میں

دردِ فرقت کا مداوا ہے قمر
عکسِ جاناں ہے ماہِ کامل میں

یارِ محسن کا ہے احساں دل پر
عشق لکھّا ہے قلبِ جاہل میں

محسن یاسین
مالیگاؤں، مہاراشٹرا، ہند
9822269031


शिद्दत ए ग़म के इन मराहिल में
हिज्र के यास के सलासिल में

शहर ए जानाँ में क़त्ल होने को
सरनिगूँ पेश कूए क़ातिल में

बेरुख़ी के इन तेज़ हमलों की
जुरअत ए ताब नहीं काहिल में

हर घड़ी महव ए फ़िक्र ए जानाँ हूँ
हिस नहीं इसकी यार ए ग़ाफ़िल में

दर्द ए फ़ुरक़त का मदावा है क़मर
अक्स ए जानाँ है माहे कामिल में

यार ए मोहसिन का है एहसाँ दिल पर
इश्क़ लिख्खा है क़ल्ब ए जाहिल में


मोहसिन यासीन
मालेगांव, महाराष्ट्र, भारत
+919822269031


Tuesday, September 5, 2017

कविता

आज आया हूँ लौट कर फिर से,
कुछ घड़ी दूर होगया था मैं।

दूरियाँ थी मगर फिर उनके लिये,
एक एहसास बन गया था मैं।

कुछ थी मजबूरियाँ के मिल न सका,
वह समझते थे खो गया था मैं।

उन से रूठा नहीं था एक पल भी,
वह यह समझे ख़फ़ा ख़फ़ा था मैं।

अपनी रुसवाईयों के डर से ही,
इश्क़ से दूर हो गया था मैं।

किस ने आवाज़ दी मुझे फ़िर से,
फ़िर से उस जानिब बढ़ रहा था मैं।

रोक क़दमों को अब ठहर *मोहसिन*
ख़ुद को ही दिल में कह रहा था मैं।

✍🏻मोहसिन यासीन✍🏻